IMF ने पाकिस्तान को लोन के बाद थोपी 11 शर्तें, साथ ही दी चेतावनी भी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को आर्थिक सहायता के अगले चरण के लिए 11 नई शर्तें निर्धारित की हैं, जिससे कुल शर्तों की संख्या 50 हो गई है।  इन शर्तों का उद्देश्य पाकिस्तान की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना और सुधार कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करना है।

IMF की 11 नई शर्तें:

1. 2025-26 का बजट पारित करना: पाकिस्तान को जून 2025 तक संसद से ₹17.6 ट्रिलियन का नया बजट पारित कराना होगा, जिसमें ₹1.07 ट्रिलियन विकास खर्च के लिए निर्धारित हैं। 

2. बिजली बिलों पर अधिभार बढ़ाना: कर्ज सेवा अधिभार को बढ़ाना होगा, जिससे उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

3. तीन साल से पुराने प्रयुक्त कारों के आयात पर प्रतिबंध हटाना: पुरानी कारों के आयात पर लगे प्रतिबंधों को हटाना होगा।

4. कृषि आय पर कर लगाना: कृषि क्षेत्र पर आयकर लागू करना होगा, जिससे राजस्व संग्रह बढ़ेगा। 

5. गवर्नेंस एक्शन प्लान प्रकाशित करना: शासन सुधारों के लिए एक कार्य योजना प्रकाशित करनी होगी। 

6. ऊर्जा और गैस टैरिफ में समायोजन: बिजली और गैस दरों में पुनः निर्धारण करना होगा। 

7. विशेष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहनों को समाप्त करना: विशेष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहनों को समाप्त करना होगा। 

8. वित्तीय क्षेत्र की दीर्घकालिक रणनीति तैयार करना: 2027 के बाद के लिए वित्तीय क्षेत्र की रणनीति तैयार करनी होगी। 

9. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में सुधार: सरकारी कंपनियों में सुधार करना होगा।

10. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए प्रभावी उपाय करने होंगे।

11. राजस्व संग्रह बढ़ाना: कर सुधारों के माध्यम से राजस्व संग्रह बढ़ाना होगा।

IMF की चेतावनी:

IMF ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि भारत के साथ बढ़ते तनाव से आर्थिक सुधार कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।  यदि पाकिस्तान क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने में विफल रहता है, तो IMF की सहायता रुक सकती है, जिससे आर्थिक संकट और गहरा सकता है। 

पाकिस्तान के लिए आगे की राह:

इन शर्तों को पूरा करना पाकिस्तान के लिए चुनौतीपूर्ण होगा, विशेषकर राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक दबावों के बीच।  यदि पाकिस्तान इन शर्तों को प्रभावी ढंग से लागू करता है, तो उसे IMF से लगभग $1 बिलियन की अगली किश्त प्राप्त हो सकती है, जिससे उसकी विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार हो सकता है। 

हालांकि, इन शर्तों के सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, पाकिस्तान को संतुलित और समावेशी नीतियों के माध्यम से सुधारों को लागू करना होगा, ताकि आर्थिक स्थिरता के साथ-साथ सामाजिक समरसता भी बनी रहे।

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