
आज, 20 मई 2025 को, सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।
प्रमुख मुद्दे:
1. वक्फ संपत्तियों का डिनोटिफिकेशन: याचिकाकर्ताओं ने उन प्रावधानों को चुनौती दी है जो अदालतों, वक्फ-बाय-यूजर या वक्फ डीड द्वारा घोषित संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की शक्ति प्रदान करते हैं।
2. वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना: यह तर्क दिया गया है कि इन संस्थाओं में पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए।
3. कलेक्टर की भूमिका: एक प्रावधान के अनुसार, यदि कलेक्टर यह जांच करता है कि कोई संपत्ति सरकारी जमीन है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
अदालत की प्रक्रिया:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं को अपने-अपने लिखित नोट 19 मई तक दाखिल करने का निर्देश दिया था।
केंद्र सरकार ने 143 पन्नों का संक्षिप्त नोट दाखिल किया है, जिसमें अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह कानून पर किसी भी तरह की अंतरिम रोक न लगाए।
पीठ ने स्पष्ट किया है कि वह 1995 के वक्फ अधिनियम के प्रावधानों पर रोक लगाने संबंधी याचिकाओं पर विचार नहीं करेगी।
पृष्ठभूमि:
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। लोकसभा में इसे 288 सांसदों के समर्थन से पारित किया गया, जबकि 232 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया। राज्यसभा में 128 सदस्यों ने इसके पक्ष में और 95 ने इसके खिलाफ वोट दिया।
याचिकाकर्ताओं में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और जमीयत उलमा-ए-हिंद शामिल हैं, जिनका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान, अदालत यह तय करेगी कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं। इस निर्णय का वक्फ संपत्तियों और संबंधित संस्थाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।