ट्रंप को अब क्यों पलटना पड़ा?
और
6 दिन में ट्रंप कैसे सच बोलने लगे?
— ये दोनों सवाल हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में बेहद प्रासंगिक हो जाते हैं, खासकर अहमद अल-शरा से मुलाकात और अमेरिकी विदेश नीति में अचानक बदलाव के बाद।
1. ट्रंप को अब क्यों पलटना पड़ा?
मुख्य कारण:
मिडल ईस्ट में बढ़ता चीन और रूस का प्रभाव: सीरिया जैसे देशों में चीन और रूस की दखलंदाजी से अमेरिका की पकड़ कमजोर हो रही थी। ट्रंप को इस संतुलन को साधने के लिए अल-शरा जैसे “बदलते चेहरे” से हाथ मिलाना पड़ा।
वोट बैंक और चुनावी रणनीति: ट्रंप 2024 में वापसी कर चुके हैं, और उन्हें मुस्लिम देशों के साथ नरम रुख दिखाकर अमेरिकी मुस्लिमों और उदारवादी वोटरों को साधना है।
प्रशासनिक दबाव: सीआईए और पेंटागन ने रिपोर्ट दी थी कि HTS (हयात तहरीर अल-शाम) अब पहले जैसे आतंकवादी नहीं रहे और स्थानीय शासन की जिम्मेदारी ले रहे हैं।
2. 6 दिन में ट्रंप कैसे ‘सच’ बोलने लगे?
संकेत और वजहें:
मीडिया मैनेजमेंट की रणनीति: ट्रंप जानते हैं कि कुछ “सच” स्वीकार करना (जैसे अल-शरा के कट्टर अतीत की पुष्टि) उन्हें ज्यादा विश्वसनीय बना सकता है — और फिर वो उसका राजनीतिक फायदा भी उठाते हैं।
डिप्लोमैटिक फॉर्मेटिंग: ट्रंप ने कहा कि “हर कोई बदल सकता है” — यह एक calculated statement था जिससे वो अपने पुराने स्टैंड से पीछे हटे बिना, नया रिश्ता बना सकें।
आंतरिक रिपोर्टिंग और सबूत: अमेरिकी एजेंसियों ने साफ कर दिया कि अल-शरा का मौजूदा रूप पहले जैसा कट्टरपंथी नहीं रहा, जिससे ट्रंप के पास यू-टर्न लेने का नैतिक बहाना बन गया।
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संक्षेप में: ट्रंप का “पलटना” सिर्फ नीतिगत बदलाव नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शक्ति संतुलन, चुनावी राजनीति, और वैश्विक रणनीति की मजबूरी है।
