कर्नाटक के कांग्रेस विधायक कोथुर मंजुनाथ ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जिससे इस सैन्य अभियान की प्रभावशीलता और पारदर्शिता को लेकर राजनीतिक बहस तेज हो गई है।

कोथुर मंजुनाथ के मुख्य बिंदु:
उन्होंने आरोप लगाया कि 7 मई को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा पाकिस्तान में किए गए हवाई हमलों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला। उन्होंने कहा, “सिर्फ दिखावे के लिए तीन-चार विमान भेजे गए और वापस आ गए। क्या यह पहलगाम हमले में मारे गए 26-28 लोगों के लिए पर्याप्त है?”
मंजुनाथ ने यह भी पूछा कि क्या उन आतंकवादियों की पहचान की गई है जो अप्रैल 22 को बईसारन घाटी में हमले में शामिल थे, और क्या वे इस हवाई हमले में मारे गए हैं। उन्होंने इसे “पूर्ण खुफिया विफलता” बताया।
उन्होंने मीडिया रिपोर्टों में आतंकवादियों की संख्या और मारे गए लोगों के आंकड़ों में असंगति की ओर इशारा करते हुए कहा, “हर चैनल कुछ और कह रहा है। हम किस पर विश्वास करें?”
केंद्र सरकार का पक्ष:
सरकार का दावा है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत नौ प्रमुख आतंकी लॉन्च पैड नष्ट किए गए और लगभग 100 आतंकवादी मारे गए, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा के ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ से जुड़े सदस्य शामिल थे। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस अभियान में कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ।
कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस पार्टी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं और इसे ‘सिंदूर राजनीति’ करार दिया है। पार्टी ने इसके विरोध में ‘जय हिंद’ रैलियों की योजना बनाई है, ताकि इस मुद्दे पर सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान नीति की सराहना की, जिससे पार्टी के भीतर इस मुद्दे पर मतभेद सामने आए हैं।
निष्कर्ष:
कोथुर मंजुनाथ के बयान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर राष्ट्रीय बहस छेड़ दी है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस सैन्य अभियान को लेकर राजनीतिक और सार्वजनिक स्तर पर विभिन्न दृष्टिकोण हैं।
इस विषय पर और जानकारी के लिए, आप नीचे दिए गए वीडियो को देख सकते हैं: