
वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर में प्रस्तावित ₹500 करोड़ के कॉरिडोर परियोजना को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। मंदिर के सेवायत गोस्वामियों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया, तो वे ठाकुरजी (बांके बिहारी जी) की मूर्ति को मंदिर से अन्यत्र स्थानांतरित करने पर विवश होंगे।
विवाद का मूल कारण
उत्तर प्रदेश सरकार ने मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए एक आधुनिक कॉरिडोर बनाने की योजना बनाई है। इस परियोजना के तहत मंदिर के चारों ओर की तंग गलियों को चौड़ा करने, भीड़ प्रबंधन, प्रसाद वितरण, गेस्टहाउस, गौशाला और अन्नक्षेत्र जैसी सुविधाओं का विकास किया जाएगा।
हालांकि, गोस्वामी समुदाय का कहना है कि यह मंदिर निजी संपत्ति है और सरकार को बिना उनकी सहमति के कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए। वे इस परियोजना को मंदिर की परंपरा और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मानते हैं।
सरकार का पक्ष
सरकार ने इस परियोजना के लिए एक 18 सदस्यीय “श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास” का गठन किया है, जिसमें दो गोस्वामी सदस्य भी शामिल हैं। सरकार का कहना है कि यह ट्रस्ट मंदिर की परंपराओं को बनाए रखते हुए प्रबंधन, पूजा-पाठ और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस परियोजना को मंजूरी दी है, लेकिन सेवायतों ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की है। उनका कहना है कि मंदिर की जमा पूंजी और निजी संपत्ति का उपयोग इस प्रकार नहीं किया जा सकता।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर परियोजना को लेकर सरकार और गोस्वामी समुदाय के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। जहां सरकार इसे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आवश्यक मानती है, वहीं गोस्वामी समुदाय इसे मंदिर की परंपरा और धार्मिक भावनाओं के खिलाफ मानता है। इस विवाद का समाधान सभी पक्षों के बीच संवाद और सहमति से ही संभव है।